कहने को तो हम चाँद और
मंगल पर पहुँच गए है, पर अभी
भी हम मुलभूत समस्याओं से ही घिरे हैं, और आने वाले भविष्य
में भी इसका सामाधान नहीं दिखता | देश को आजाद हुए 70 साल हो
गए परन्तु अभी मिलेनियम सिटी कहे जाने वाले शहरों में ही ग्रामीण टाइप की
समस्यायें विद्यमान है | महंगाई और बिजली का रोना तो रोज़ रोज़
का झंझट है ही | लेकिन साल भर में कुछ ही दिन बारिश होती है,
उससे होने वाली परेशानियों से भी आज तक निज़ात नहीं मिल पाई |
गाँव में थे, तो बारिश आने पर यही सोचते थे
की काश! शहर जैसी सड़क यहाँ भी होती तो आराम से खेत और चौराहे तक जा पाते | सड़कों पर थोड़ा कचड़ा होता था, क्योकिं सड़कें कच्ची
थीं ( अब तो प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से मुख्य सड़कें पक्की हो गयी हैं ) |
गाँव में पानी के निकासी की भी कोई समस्या नहीं हैं ( कुछ गाँव में
रंजिश के कारण समस्याएं हैं |) , पानी आस-पास के गड्डों में
इकठ्ठा हो जाता है | उस टाइम पर, बारिश
के समय शहर को सोच-सोच अच्छा लगता था| लेकिन यहाँ गुडगाँव
में (जो देश की मिलेनियम सिटी और आईटी सिटी के नाम से जाना जाता है ) थोड़ी सी ही
बारिश में जिस तरह हर जगह पानी जमा हो जा रहा , सड़कें टूट जा
रहीं और घंटों घंटों जाम लग जा रहा है , इसे देखकर तो यही
लगता है की गाँव ही ठीक है क्या अंतर है गाँव और गुडगाँव में |
बेतरतीब तरीके से किया
गया डेवलपमेंट, जहाँ
ऊँचीं ऊँचीं गगनचुम्बी इमारतें खड़ी हैं , शीशे चमक रहे हैं,
वहीँ नीचे सड़कों पर लोग पानी में अपनी-अपनी गाड़ियों और शरीर को लेकर
नुरा-कुश्ती खेल रहे हैं | सड़कों पर लोग खड़े होकर यह सोच रहे
हैं की पानी के दरिया को कैसे पार करूँ | हालत यह है की घंटो
जाम से लोग परेशान हैं |
विकास की अंधी दौड़ में
भागने पर, यही सब
मूलभूत समस्याएँ दिखती नहीं, पर आगे परेशान बहुत करती हैं |
और इसे गुडगाँव के लोग या देश के ऐसे किसी भी शहर के लोग जो बारिश
के पानी से तबाह हैं, महसूस कर सकते हैं |
अब भारत में सिर्फ
प्राकृतिक बाढ़ ही नहीं इंसानों द्वारा कृत्रिम तरीके से भी बाढ़ लाने की क्षमता है
जिसका दोहन वह हर बारिश के मौसम में कर रहा है | मीडिया भी समय आने पर अपने काम की इतिश्री कर लेती
है, और सरकारें भी बरसाती मेढक की तरह इलेक्ट्रोनिक चैनलों
में टर्र-टर्र करके मौसम की तरह बदल लेती हैं |
भाई ! चाँद और मंगल पर
बाढ़ आये तो समझ लेना इंसान वहां रहने के लिए पहुँच गया है.
लेखक विन्ध्या सिंह - PR Professionals