Thursday, 15 December 2016

क्योंकि पप्पू इसलिए पास नहीं होता


पप्पू वैसे तो कई बार परीक्षा में फेल हो चुका है, लेकिन इस बार का फेल होना उसे अखर गया | उसकी परीक्षा की तैयारीयों में माँ ने भी पूरा जोर लगाया था | जवान से बुजुर्ग तक, दर्जनों माहिर लोगों को उसकी तैयारी के लिए लगाया गया था | लोगों ने एक से बढकर एक गुर दिय और माँ ने दूध-बादाम का पूरा ध्यान रखा | सुबह-शाम इस बार काम कर जायेगा और पप्पू पर लगा फेल होने का कलंक धुल जायेगा| पप्पू भी मन – बेमन से सड़ासड़ गिलास खाली कर देता | यह देख लगने लगा था कि पप्पू इस बार सीरियस है | आखिर हो भी क्यों नहीं, उसी के उम्र के बच्चे अब कुर्सी सँभालने लगे थे और वह पाँचवी भी पास नहीं कर पा रहा था |

माँ तो माँ होती है, वह चाहती थी कि पप्पू उनके चलते फिरते ही सेटल हो जाए | इसलिए वह पढाई के साथ साथ तमाम टोटके भी करवा रही थी | उन्होंने कई मंदिरों में विभूति और मजारों से ताबीज मंगवा कर पप्पू के सिरहाने रखवा दिया था | इन टोटकों को प्रभाव कहिये या पप्पू का उत्साह की उसे पास होने के सपने भी आने लगे थे | लेकिन जब वह परीक्षा हॉल में गया तो फिर वही गलती कर बैठा, जो बचपन से कर रहा था |दरअसल पप्पू जब छोटा था तब उसके पिताजी उसे अपने साथ अपनी सियासी दुकान पर ले जाया करते थे | पप्पू बड़े बड़े दिग्गजों की गोद में खेलता, उनसे बातें करता | इन सबके बीच पिता को यकीं होने लगा था कि पप्पू एक दिन जरुर उनकी कुर्सी संभालेगा, लेकिन उनका यह विश्वास ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सका | पहला धक्का तो उसी दिन लगा था जब उन्होंने पप्पू से पूछा था की बड़े होकर क्या बनोगे ? पप्पू ने कहा था –‘गुलेल लूँगा और चिड़िया मारूंगा’| तब पापा ने यह सोचकर मन को समझा लिया था कि पप्पू अभी बच्चा है | बड़ा होगा तो समझदारी आ जाएगी |


पांच साल बाद भी जब पप्पू का जवाब नहीं बदला तो वह वाकई चिंतित होने लगे | उन्होंने सोचा शिक्षा से अच्छे अच्छे बदल जाते हैं तो शायद पप्पू भी बदल जाये | लेकिन पप्पू तो पप्पू था वहाँ पांच साल रहने के बावजूद वह पाँचवी पास नहीं कर सका | फेल की डिग्री लेकर भी जब पप्पू पास भले ही नहीं हुआ हो लेकिन उसकी मनोवृति जरुर बदल गई होगी | पापा ने उसका जमकर पीआर भी किया पर उसका नतीजा भी उल्टा ही हुआ | विदेश से लौटने के बाद पप्पू के पापा ने उससे फिर वही सवाल किया | इस बार उसका जवाब था –‘शादी करूँगा दहेज़ लूँगा ...’ यह सुनकर तो पप्पू के पापा फुले नहीं समाये, लेकिन जैसे ही पप्पू ने अगली लाइन बोली वह सद्गति को प्राप्त हो गए | पप्पू ने कहा था ‘दहेज़ में कच्छा लूँगा, कच्छा पुरानी हो जाएगी तो उससे इलास्टिक निकालूँगा, गुलेल बनाऊंगा और चिड़िया मारूंगा|’

लेखक अनिल कुमार -PR Professionals 

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