Wednesday 28 December 2016

अल्लाह मेहरबान तो चोर की किस्मत भी मालामाल

इस शनिवार को भी मैं बहुत खुश था क्योंकी अगला दिन रविवार था, रविवार यानी छुट्टी का दिन तो इस रविवार को भी सोचा था की लेट से उठूँगा, लेकिन सात बजते ही न्यूज पेपर वाले ने दरवाजा खटखटा कर मेरी नींद तोड़ दी | सुबह सुबह पैसे मांगने आ धमका, अब क्या था उठ ही गया, तो किचन में घुसा और साफ़ – सफाई में लग गया | दोपहर को बाहर घुमने का प्लान बना लिया |
तैयार होकर बाहर निकल गया, चूँकि लंच बाहर करना था, शॉपिंग और डॉक्टर से अपॉइंटमेंट भी निबटाना था तो मैं तकरीबन 5 हजार रूपए लेकर निकल पड़ा | सबसे पहले मैंने एक रेस्तरां में भरपेट स्वादिष्ट खाना खाया | जितना खाया उसके हिसाब से पैसे देने में बड़ी ख़ुशी हुई | फिर डॉक्टर के पास गया, डॉक्टर ने फ़ीस नहीं ली और तो और दवाइयां भी फ्री में दे दी, मैं तो गदगद हो गया | शायद मेरे जान पहचान और पीआर काम आ गया | मन ही मन सोचा वाह ! क्या बात है, आज तो जैसे ऊपर वाले की दया – दृष्टी मेरे ऊपर से हट ही नहीं रही है | खूब पैसा बच रहा है |

उसके बाद जब मैं गुडगाँव गार्डन पहुंचा तो वहाँ काफ़ी भीड़ थी, लेकिन जैसे ही मैंने प्रवेश किया पूरी भीड़ एक साथ बाहर निकलने लगी, मानो मेरे लिए पूरा पार्क खाली हो रहा हो | पार्क घुमने के बाद शॉपिंग के लिए निकल पड़ा | वहाँ भी कम रेट में मुझे काफ़ी सस्ते कपड़े मिल गए, विश्वास नहीं हो रहा था की आज क्या हो रहा है भगवान मेरे ऊपर इतना मेहरबान क्यों है | उसके बाद मैं बिलिंग काउंटर पर पैसे देने के लिए वॉलेट निकालने के लिए जेब में हाथ डाला | मैं अचानक से डर गया | मेरे जेब में वॉलेट था ही नहीं | ध्यान से देखा तो पता चला किसी चोर ने मेरी जेब काट ली है | अब मैं समझ गया की दया – दृष्टी मेरे ऊपर नहीं बल्कि उस चोर पर थी और इसलिए हर जगह मेरे पैसे बचते ही जा रहे थे ताकि चोर के अकाउंट में अच्छे – खासे पैसे जमा हो जाए | फिर क्या ! मुंह लटकाए अपनी किस्मत को वहीँ गुड बाए बोलकर घर की ओर निकल पड़ा |

                                   लेखक अनिल कुमार -PR Professionals 

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