Friday 9 December 2016

पर्यावरण संरक्षण और मीडिया

पर्यावरण संरक्षण के विषय में आप जानते होंगें फिर भी मैं लिख रहा हूँ - प्रकृति द्वारा दिये गए उपहारों (वन,जल,अग्निवायु,पृथ्वी एवं जीव) की सुरक्षा करना  ही पर्यावरण संरक्षण कहलाता हैं | प्रकृति का स्वभाविक रूप बहुत ही शुद्ध और निर्मल हैं , लेकिन इसके प्रदुषण से मानव जाति के साथ समस्त जीवों जंतुओं के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है । इस खतरे से बचने की बहुत जरुरत है , और यह तभी संभव है जब आप-हम और लोग , प्रदुषण की भायवहता को समझें तथा पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी जिम्मेदारी समझें | प्रदुषण से हमारी आने वाली पीढ़ी को ही हानि पहुंचेगी साथ ही इससे जैविक-चक्र पर भी असर पड़ता है और यह असर जीवन के हर हिस्से को प्रभावित करता है |

हम सब पैदा होते हैंधीरे-धीरे बड़े होते हैंऔर जीवन-चक्र में तीन चरणों  बालयुवा व वृद्धा अवस्था को पार करते हुए अंत में मृत्यु को प्राप्त करते हैं । यह जीवन चक्र प्राकृतिक प्रक्रिया है और यह हर जीव-जंतु के साथ घटित होती हैं | हमारा पूरा जीवन-चक्र प्रकृति पर ही निर्भर हैं । अगर प्रकृति से वायुभोजन या जल में से कोई एक चीज़ न मिले तो समझ लीजिये जीवन- चक्र का पहिया वहीं थम जायेगा ।

आज 21वीं सदी में मीडिया सिर्फ राजनीतिक्राइमफ़ैशनमनोरंजनपेज 3 पार्टी के जंजाल में उलझ के रह गया है । अगर आप  सुबह समाचार पत्र उठायेंगें या कोई न्यूज़ चैनल खोलेंगें तो बस राजनीति से जुड़ीहत्या लूटपाट, मुद्रास्फीति ,मनोरंजन नेताओं या सेलेब्रिटी के पार्टी की खबरें  तथा खेल, धर्म से जुड़ी खबरें ही देखेंगें ।

पर्यावरण संरक्षण या पर्यावरण से जुड़ी खबरें आप तब देखेंगें जब कोई आपदा आती है क्योंकी उस टाइम के लिए वह ब्रेकिंग न्यूज़ होती है । विभिन्न मीडिया संस्थानो में भी शिक्षक और छात्र सिर्फ मीडिया की चकाचौंध में खोये रहते है तथा सिर्फ राजनीतिकक्राइम खेल ,मनोरंजन पत्रकारिता पर ही फोकस किये रहते हैं | अब जब मीडिया के धुरंधरों का ध्यान पर्यावरण संरक्षण की तरफ नहीं रहेगा तो फिर जागरूकता कहाँ से आयेगी | क्योंकी आज मीडिया की पहुँच अनेक माध्यमों के द्वारा हर वर्ग और हर जगह है खासकर जबसे टीवी का प्रसार बढ़ा है और वर्तमान समय में इंटरनेट द्वारा समर्थित सोशल साईटों का दायरा बढ़ा है | गाँव हो या शहर अब मीडिया की पहुँच प्रत्येक जगह व्यापक स्तर पर पहुँच गयी है जिसमें दिन प्रतिदिन वृद्धि ही हो रही है |


फिर जिस कारण मनुष्य जाति ही खतरे में है उसके दुष्परिणामों और उपायों के बारे में मीडिया लोंगों के बीच जागरूकता फ़ैलाने में कंजूसी क्यों करती है ??? खुद की सुविधाओं और आराम के लिए ,यह सब कुछ जो हम बना रहे हैं , जीवन ख़त्म होने के बाद उसका कोई मतलब नहीं रहेगा | जब वायुमंडल इतना विषाक्त हो जायेगा और मानव पृथ्वी से ख़त्म होने लगेगा फिर हम जागरूक होकर क्या करेंगे | पर्यावरण का संरक्षण हम  प्रत्येक लोंगों का कर्तव्य है | इसके साथ-साथ ही मीडिया का भी यह दायित्व है की इसके विषय में लोंगों को जागरूक करे |   

                                  लेखक विन्ध्या सिंह PR Professionals 

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